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Thursday 6 June 2013

शिक्षा-प्रणाली और यूपी बोर्ड


                               
12th Exam result, UP Board, Indian education system

                                                       
                           आखिरकार यूपी बोर्ड के 12th क्लास का परिणाम ही गया | पर मेरे हिसाब से तो ये सिर्फ एक छलावा मात्र है | मेरी उन "पासहुए छात्रों की मेहनत का मजाक उड़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है |  लेकिन सिर्फ नम्बर बाँट देने से उनका भविष्य नहीं सुधर सकता। ये उनके भविष्य को ओर धुँधला कर रहे हैं।

                        माना कि थोड़ी देर के लिए यू.पीबोर्ड का छात्र इस गफलत में जी लेता है कि वो भी  C.B.S.E. या I.C.S.E. बोर्ड के छात्रों के बराबर हैं। पर ये गलतफहमी उस समय टूटती है जब वो किसी कॉलेज में दाखिले के लिए जाते है और वहाँ उन्हे कड़ी टक्कर मिलती है उन बोर्डों के छात्रों से। मैं यह नहीं कह रहा की यू.पीबोर्ड का छात्र पढ़ाई में कमजोर होता है,  पर यू.पी.बोर्ड की शिक्षा-प्रणाली और कापियों के मूल्यांकन के दौरान अध्यापकों का लापरवाह रवैया किसी से नहीं छुपा। और ज्यादातर यू.पीबोर्ड का छात्रों की योग्यता का पता इसी बात से लग जाता है कि उनमे से ज्यादातर स्नातक के दूसरे वर्ष में पहुँचने के बाद भी अपना रोल नंहिन्दी में नहीं लिख पाते। और पूछने पर पता चलता है कि इन महाशय के 70%-80% हैं इंटर में। 
                       आखिर ऐसे 80%  का क्या फायदा ? और यू.पी.बोर्ड के लापरवाह रवैये का खामियाजा होनहार छात्रों को उठाना पड़ता है और वो इसे अपनी बदकिस्मती समझकर स्वीकार कर लेते हैं। और कुछ छात्र परम्परागत कोर्स जैसे B.A.,B.Sc.,B.Com आदि करने स्थानीय कॉलेजों में जाते हैं तो वहाँ भी उन्हे ऊँची मेरिट ही नजर आती है और 60%-70% वाले भी धक्का खाते नजर आते हैं
                      समस्या की जड़ को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ अच्छे रिजल्ट का झुनझुना पकड़ा कर अपनी कमजोरियों को छिपाने का तरीका है यह | इस झुनझुने की आवाज कुछ देर तक ही अच्छी लगती हैशिक्षा-प्रणाली की नाकामयाबी और नकल-माफियाओं की आंशिक सफलता हर साल देखने को मिलता है | हर साल बच्चे गफलत का शिकार होते है ; बावजूद इसके पता होने कीयूपीबोर्ड की हालत कितनी खस्ता है | देखते हैं ये सिलसिला कब तक चलेगा ???

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